Sunday 27 July 2014

मेरी गाथा

ना रखा किसी ने राबता मुझसे
उस दर्द नाक हादसे के बाद
कोसा गया मुझे हर पल
उठाई गयी हैं उंगलियाँ कई
उचला गया हैं कीचड़ भी
मेरे लड़की होने पर आज
किये है सबने अनेक सवाल
क्या था गुनाह मेरा?
फकत लड़की बन कर जन्मी हूँ
हुआ हैं ये सबसे बड़ा अपराध
हमेशा से दबाई गयी हैं आवाज़
चीना गया हैं मेरा मासूम बचपन
हो कर बड़े करा गया हैं कैद मुझे
माँ ने कहा लड़की हूँ में
लड़की बनकर रहूँ इस आँगन में
बाबा ने कहा लड़की हूँ में
पढ़ना मेरा कर्म नहीं
सीखाया गया घर का हर काम
पर ना सीखाया गया मुझे
अपने सपनों पर अंकुश लगाना
में बढती गयी उम्र से और
बढ़ते गए मेरे सपने भी
पर उन पर उड़ान की थी बंदिश
हो कर जवान में ब्याही गयी
पर किस्मत का था किसको पता
पा कर मुझको घर पर अकेले
आये थे कुछ गुंडे मवाली
रस्सियों से बंधा गया
हथेलियों से मरोड़ा गया मुझे
पर सुनी ना इक बिनती मेरी
फाड़ कर मेरे लिबाज़ को
चीर कर मेरी आत्मा को
लूट कर मेरी इज्ज़त को
जिंदा मारा हैं मुझे
छोड़ा हैं पति ने मुझे
मोड़ा हैं मुह माँ बाप ने मेरे
कोसा हैं मोहल्ले वालों ने मुझे
पर दिलाई ना मुझे मेरी इज्ज़त
ना पकड़ा उन दरिंदों को
बस लड़की के नाम पर
इक वास्तु समझा गया हैं मुझे
ना रखा किसी ने राबता मुझसे
उस दर्द नाक हादसे के बाद..!!

 Picture Courtesy - Jimmy Eric, thank you Jimbo!!

2 comments:

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